"कोई नही था साथ मेरे तो मैं ही अकेले चल पड़ा, अपने मक़ाम परमेरी किस्मत इतनी खराब तो नही की इसमे कोई मन्ज़िल न हो
सफर में कुछ लोग भी साथ थे पर नज़रे थी उनकी, सिर्फ मेरे समान पर
उम्मीद के भरोसे चल दिया था बिना तैयारी, जिंदगी के इम्तेहान पर
माँ ने कहा था सोच समझ लेना बेटा भरोसा करने से पहले, किसी इंसान पर"
मेरी मेहनत इतनी भी बेकार तो नही इससे कुछ हासिल न हो
बस यही सोच कर एक बार फिर मैं छलांग लगाने निकल पड़ता हुँ
जमीन कम पड़ती है तो आसमान को नापने निकल पड़ता हुँ
हक़ीक़त यही है की अब आगे बढ़ने की सिवा कोई रास्ता नही है
पीछे मुड कर देख तो लूँ पर अब रुक कर ठहरना मेरा स्वभाव नही है
जानता हुँ दिल टूटा है छोटे भी खाई है
पर अभी तो बहुत कुछ सहना और टूटना बाकी है
किसी का साथ मिलना और किसी का छूटना बाकी है
अपनी किस्मत से हार कर मौत मांगना भी तो कोई रास्ता नही है
मौत तो एहसान कर देगी
पर जिंदगी का कर्ज़ चुकाना बाकी है
मौत तो एहसान कर देगी
पर जिंदगी का कर्ज़ चुकाना बाकी है
वो जिंदगी जिसने हँसना और रोना सिखाया
जिसने पाना औऱ खोना बताया
जो हमसे सिर्फ इतना मांगती है की हम उसकी दिए तोहफे की ईज़ज़त करे
जो इतना चाहती है की हम अपनी जीत के साथ साथ हार को भी स्वीकार करे
महत्वपूर्ण ये नही कि हम क्या चाहते है
महत्वपूर्ण ये है की हम उसे कितनी सिद्दत से चाहते है
हार कर ही तो पता चलता मन्ज़िल कितनी दूर है
जज़्बातो से घिरे हुए हम अब भी कितने मजबूर है
मन्ज़िल तो एक न एक दिन मिल ही जाएगी
पर आज से ही अपने नज़रिये को बदलना है
कोई मेरे बारे में कुछ सोचेगा या करेगा इस गलतफहमी से बाहर निकलना है
अपने हर रास्ते खुद चुनना है
किस्मत के नही मेहनत के भरोसे हर खाब बुनना है
अगर रास्ता मेरा है तो फैसला भी मेरा होना चाहिए
खतरा मेरा उसक अंजाम
अगर इनाम मेरा है तो संघर्ष भी मेरा होना चाहिए
चोट दर्द
बात ये नही की मुझे ऊंचाइयों पर पहुच कर किसी को कुछ दिखाना
मेरे अंदर भी हार न मानने का जज्बा है बस खुद को ये समझना है
आखिर कब ऐसा कहेंगे की सब ठीक हो जाएगा और अपना वक़्त आएगा
मुझे पता है तू खयालो की दुनिया में आलास की चादर ओढ़ कर गहरी नींद सो जाएगा
धीरे धीरे ही सही पर अब रोज़ कुछ न कुछ करना है
कड़े इम्तेहानो से नही पर अपने आलस से रोज़ लड़ना है
हार जाए या हराया जाए अब एक ऐसा सफर तय करना है
कोई बस इतना कह दे की हां मुझे भी उसके जैसा बनना है
कोई मेरे बारे में कुछ सोचेगा या करेगा इस गलतफहमी से बाहर निकलना है
अपने हर रास्ते खुद चुनना है
किस्मत के नही मेहनत के भरोसे हर खाब बुनना है
अगर रास्ता मेरा है तो फैसला भी मेरा होना चाहिए
खतरा मेरा उसक अंजाम
अगर इनाम मेरा है तो संघर्ष भी मेरा होना चाहिए
चोट दर्द
बात ये नही की मुझे ऊंचाइयों पर पहुच कर किसी को कुछ दिखाना
मेरे अंदर भी हार न मानने का जज्बा है बस खुद को ये समझना है
आखिर कब ऐसा कहेंगे की सब ठीक हो जाएगा और अपना वक़्त आएगा
मुझे पता है तू खयालो की दुनिया में आलास की चादर ओढ़ कर गहरी नींद सो जाएगा
धीरे धीरे ही सही पर अब रोज़ कुछ न कुछ करना है
कड़े इम्तेहानो से नही पर अपने आलस से रोज़ लड़ना है
हार जाए या हराया जाए अब एक ऐसा सफर तय करना है
कोई बस इतना कह दे की हां मुझे भी उसके जैसा बनना है
"अब इज़ाज़त नही लेता मैं किसी की निकलने से पहले, अपनी उड़ान पर
गिरकर फिरसे उठने के लिए देख लेता हुँ अपने पुराने, ज़ख्मो के निशान पर
अकेलेपन का एहसास है क्योंकि समझौता कर नही सकता, अपने स्वाभिमान पर
माँ ने कहा था पहले भरोसा खुद पर करना फिर किसी इंसान पर "
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