सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hindi Poetry [ऐसा कहा लिखा है की प्यार दो तरफा हो तभी करना जरूरी है] Hindi Shayari||Hindi Kavita||HPoetry||

ऐसा कहा लिखा है की प्यार दो तरफा हो तभी करना जरूरी है मैं कैसे कहुँ कहाँ से शुरू करू कि जब से तुम मिले हो जिंदगी मैं कैसे कैसे बदलाव आये उस दिन खुश तो मैं बहुत था पर थोड़ा हैरान भी अब आगे क्या करू कोई तो समझाये यार मुझे कुछ मत कहना, ये गुस्ताखी आंखों ने की थी उस दिन जो बिना इज़ाज़त तुझे मेहमान बना कर दिल के दरवाजे तक पहुँचा दिया कम्भख्त हमसे पूछा भी नही, और दिल ने बाइज्जत उस मेहमान को अपना बना लिया मेरा इस तरह कुछ महसूस करने का ये पहला मौका था अब क्या करे और क्या न दिन रात इसी में कटने लगे हम शायर तो थे नही पर घिसी पिटी शायरी जैसे भी करते रोज़ करने लगे और उनमे से एक शेर ये था की ""ढेर सी बातें करनी है तुमसे पर तुम जैसे अपनी घड़ी में चाबी भर के रखती हो यकीन करो दिल साफ है मेरा तुम ख़ामख़ा भोरोसा करने से डरती हो कोई साज़िश नही आती न कोई षड्यंत्र आता है मुझको बस दोस्ती करनी है तुमसे क्योंकि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो"" ज़ख्म दो चार थे जो पहले के धीरे धीरे अब वो भी थे भरने लगे पहले रहते थे घर पर जैसे भी अब बन टन कर थे रहने लगे एक दिन ऐसा भी आया जब हमने तु

Hindi Poetry["पता नही"]Best Hindi Shayari|| Hindi Kavita||HPoetry||

पता नही रोज की तरह आज भी वो शाम आयी तन्हा सा बैठा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आई जो कहती है हम मिलेंगे पर कब मिलेंगे पता नही बूंदे गिरने लगी जब सावन की पहली बरसात आयी अकेले ही भीग रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी जो कहती है हम साथ भीगेंगे पर कब भीगेंगे पता नही भरोसा टूटा था मेरा तबसे दिल में एक दरार सी आयी कैसे भरू सोच रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी जो कहती है हम दरार भर देंगे पर कब भरेंगे पता नही कुछ पाने को मै चल रहा था तभी पीछे से एक भीड़ आयी मैं छूट गया था अकेला की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी जो कहती थी हम साथ चलेंगे पर कब चलेंगे पता नही जिंदगी में कई मोड़ आये पर वो कहीं नज़र नही आयी मैं उसे ढूंढ रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी जो कहती थी हम तुम्हे ढूंढ़ लेंगे पर कब ढूंढ लेंगे पता नही दुआ करने का भी असर होता है ये बात हमे थोड़ी देर से समझ आयी हम दुआ में उन्हें मांग ही रहे थे की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी जो कहती थी तुम्हारी दुआ कबूल होगी पर कब कबूल होगी पता नही कुछ ऐसे संघर्स थे जिंदगी के जिन्हें निभाने की जिम्मेदारी मेरे सर आयी मैं परेशान था की करू की मेरे कानो में ए

Hindi Poetry[शायरीयां] Hindi Shayari|| Hindi Kavita||HPoetry||

शायरीयां "तेरी यादों में कुछ ऐसे छटपटा से रहे है आंखों में नमी भी सूख गयी रातों को जागकर" अब ऐसा लगता है न की खाशइश्क़ न किया होता पर अगर न किया होता तो क्या वो कमी पूरी हो चुकी होती जो आज भी महसूस होती है रोना है थोड़ी देर तो रो लो अपने अश्को को दुसरो से तो छिपा लोगे पर पर आईने में कैसे देखोगे जब वो सामने आएंगे "दर्द देने के बहाने ही सही तेरी नफरत से भी रूबरू हो लेंगे कमसेकम तेरा एक नया चेहरा तो दिखेगा जो तूने दुनिया से छिपाया है" मुझे तुझसे कोई शिकायत तो नही है नही बिलकुल नही बस खुद के भरोसे पर भरोसा करना अब मुश्किल सा लगता है जो मैं दिन रात ये मानता था की भरोसा ही शायद किसी रिश्ते की सबसे गहरी नीव होती है "क्या पता था बिना तैयारी इतने इम्तिहान देने होंगे वरना हम भी इश्क़ करने की जगह कुछ पड़ लेते" साजिश या षडयंत्र तो आती नही पर शायद तुझे पाने के लिए वो भी कर लेते पर फिर खुद से पूछा की क्या मोहब्बत चुराई जा सकती है क्या मैं इसे छीन सकता हुँ कल किसी ने तुम्हे मुझसे चुरा या छीन लिया तो "कहते है खुदखुशी एक गुनाह है और हम रोज़ मरते थे उनसे