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Hindi Poetry["पता नही"]Best Hindi Shayari|| Hindi Kavita||HPoetry||

पता नही


रोज की तरह आज भी वो शाम आयी
तन्हा सा बैठा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आई
जो कहती है हम मिलेंगे
पर कब मिलेंगे पता नही

बूंदे गिरने लगी जब सावन की पहली बरसात आयी
अकेले ही भीग रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती है हम साथ भीगेंगे
पर कब भीगेंगे पता नही
भरोसा टूटा था मेरा तबसे दिल में एक दरार सी आयी
कैसे भरू सोच रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती है हम दरार भर देंगे
पर कब भरेंगे पता नही

कुछ पाने को मै चल रहा था तभी पीछे से एक भीड़ आयी
मैं छूट गया था अकेला की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम साथ चलेंगे
पर कब चलेंगे पता नही
जिंदगी में कई मोड़ आये पर वो कहीं नज़र नही आयी
मैं उसे ढूंढ रहा था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम तुम्हे ढूंढ़ लेंगे
पर कब ढूंढ लेंगे पता नही
दुआ करने का भी असर होता है ये बात हमे थोड़ी देर से समझ आयी
हम दुआ में उन्हें मांग ही रहे थे की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी तुम्हारी दुआ कबूल होगी
पर कब कबूल होगी पता नही
कुछ ऐसे संघर्स थे जिंदगी के जिन्हें निभाने की जिम्मेदारी मेरे सर आयी
मैं परेशान था की करू की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम साथ मिलकर निभाएंगे
पर कब निभाएंगे पता नही
जल भून के थक गया दिन भर पर कम्भख्त रात को भी नींद नही आयी
बस आंखेंबन्द थी मेरी की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम नींद बनके आएंगे
पर कब आएंगे पता नही
मुझे तुमसे प्यार है सुनते ही मेरी जिंदगी में एक बहार सी आयी
पर जैसे ही सपने से बाहर आया की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम हक़ीक़त बनेंगे
पर कब बनेंगे पता नही
एक कश्ती तैयारी की थी मैंने एहतियातन कहीं अगर वो मेरे साथ सवार होने आयी
मेरे साथ आग का दरिया जो पार करना था की मेरे कानो में एक आवाज़ आयी
जो कहती थी हम मुक्कम्मल कर लेंगे
पर कब करेंगे पता नही
पता नही..........


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