तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
मैं अब अक्सर अकेला जो रहता हुँ"
मैं अकेला ही था तुमसे प्यार करने वाला भी और तुमसे दूर जाने वाला भी
शिकायत होने पर नाराज होने वाला भी औऱ सब कुछ ठीक है ये जताने वाला भी
"तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
मैं अब अक्सर अकेला जो रहता हुँ"
सोच कर पछतावा तो नही पर हैरानी जरूर होती है की कैसे तुम मेरी जिंदगी मैं एक हसीन किरदार बन के आयी
औऱ क्या ये सब एक कहानी थी जो बीत गयी या कहीं न कहीं किसी पन्ने में इसके थी थोड़ी सी सच्चाई
"तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
मैं अब अक्सर अकेला जो रहता हुँ"
लोगो से सुना तो था की प्यार के मायने औऱ उसके अंजाम क्या होते है पर तुम्हे देखते ही मैं सब कुछ भूल गया
तुमसे प्यार करने की कोई शर्ते नही होंगी इसी शर्त पे मैने तुम्हे चुना और इस आग के दरिया में खुद गया
"तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
मैं अब अक्सर अकेला जो रहता हुँ"
मैं आज भी किसी इम्तेहान के जैसे तैयारी करता हुँ ये सोच के की शायद कभी तुमसे फिर मुलाकात होगी
औऱ डरता भी हुँ उसी इम्तेहान के अंजाम के जैसे की बात होगी भी तो तूमसे क्या बात होगी
"तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
मैं अब अक्सर अकेला जो रहता हुँ"
तुमसे प्यार करने की मैंने कोई कसर नही छोड़ी पर शायद मैं वो नही था जिसके हिस्से में तुम्हारा प्यार लिखा था
और मैने कभी इस बात से इनकार भी नही किया की सब सही था या कुछ गलत लिखा था
"तुम्हे याद करने की आदत सी हो गयी है
और मैं अब भी तुमसे प्यार करता हुँ"
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