बस.. तुम्हारी बहुत याद आती है
अभी अभी सो के उठा की सबसे पहले तुम्हारा ख्याल आया
तुमसे बात किये तो लगता अरसा हो गया पर अभी तो एक ही हफ्ता बड़ी मुश्किल से गुज़र पाया
जाने अनजाने कुछ कहा ही मेने तो मुझे माफ करना
तुम्हें ठेस पहुचने की कभी इरादा नही किया पर कभी लगा तुम्हे तो मेरे नाम दर्द बेहिसाब करना
मै तो तुम्हारी यादो के जंजाल में फसा हुआ हुँ न जाने तुम क्या कर रह होगी
तुमसे बात किये तो लगता अरसा हो गया पर अभी तो एक ही हफ्ता बड़ी मुश्किल से गुज़र पाया
जाने अनजाने कुछ कहा ही मेने तो मुझे माफ करना
तुम्हें ठेस पहुचने की कभी इरादा नही किया पर कभी लगा तुम्हे तो मेरे नाम दर्द बेहिसाब करना
मै तो तुम्हारी यादो के जंजाल में फसा हुआ हुँ न जाने तुम क्या कर रह होगी
मेने एक डायरीदी थी तुम्हे क्या पता शायद उन्हें पढ़ रही होगी
अब दिन रात तो नही है मेरे वैसे जो तुमसेमसे मिलने या बात करने पर हुआ करते थे
न जाने क्यों सब बदल गए वो रास्ते भी जो तेरी गलियों को गुज़रा करते थे
तुमसे दूर हु जबसे रोज़ अपनी गलतियां गिनता हुँ
चुका सकू तेरे दिए हसीन लम्हो का कर्ज़ तो रोज़ अपने लिए एक तन्हा शाम चुनता हुँ
मैं बेखबर नही हुँ इस सच्चाई से की तुमसे शायद अब कभी बात नही होगी
पर जमानत नही दे सकता इस बात की भी की खयालो में भी तुमसे कोई मुलाकात नही होगी
अब दिन रात तो नही है मेरे वैसे जो तुमसेमसे मिलने या बात करने पर हुआ करते थे
न जाने क्यों सब बदल गए वो रास्ते भी जो तेरी गलियों को गुज़रा करते थे
तुमसे दूर हु जबसे रोज़ अपनी गलतियां गिनता हुँ
चुका सकू तेरे दिए हसीन लम्हो का कर्ज़ तो रोज़ अपने लिए एक तन्हा शाम चुनता हुँ
मैं बेखबर नही हुँ इस सच्चाई से की तुमसे शायद अब कभी बात नही होगी
पर जमानत नही दे सकता इस बात की भी की खयालो में भी तुमसे कोई मुलाकात नही होगी
जिसेके लिए में कभी बेसब्री से इंतेज़ार करता था
तुमसे मिलना तो पहला काम होता था मेरा बाकी सारे काम उसके बाद करता था
वो मुलाकात
जो तुमसे मिलने पर मुझे एक एहसास कराती थी
ऐसा लगता था जैसे मेरी ज़िन्दगी के कोरे पन्नो मे तुम हरेक रंग अपने हाथो से सजाती थी
वो मुलाकात
जिसके बाद मानो मेरी ज़िन्दगी की हररोज़ एक नई शुरुवात होती थी
कभी थोड़ी ज्यादा तो कभी कम पर हर बार मेरी लिए काफी और बेहद खास होती थी
मैं नही जनता तुमसे कभी मिलूंगा या नही
मुलाकात हुई तो तुमसे कुछ कहूंगा या नही
पर जहाँ तुम रहती हो मेरे दिल में वो हमेशा तुम्हारा पता रहेगा
वक़्त का दरिया ताउम्र बस अब इसी तरह बहेगा
रास्ते कभी कभी ऐसे मोड़ ले लेते जी हमे नामंजूर होते है
कसूर पता नही किसका पर इश्क़ करने वाले खामखा बदनाम होते है
कदमो का तालमेल अगर अच्छा ही तो कोई भी सफर असांनी से कट जाता है
चाहते अगर बदलने लगे तो हमसफ़र का रास्ता भी दो भागो में बट जाता है
तुम्हारे साथ सफर कितना रहा और कैसा भी था
मुकम्मल हुआ या अधूरा रहा, प्यार तो था जैसा भी था
प्यार एक एहसास है जिसे सिर्फ निभाया जाता है
ऐसा ज़रूरी नही इसे हरपल और हरबार लफ़्ज़ों में बताया जाता है
डरते है हम इस बात से की हमारे प्यार की दास्तान कहीं अधूरी तो नही
चाहने वाला हमेशा पास रहे मेरे प्यार करना ऐसा भी कोई ज़रूरी तो नही
वक़्त बेवक़्त लम्हो की घड़ी मझे इस कदर सताती है
तुमसे कोई गिला या शिकवा नही बस तुम्हारी बहुत याद आती है
बस तुम्हारी बहुत याद आती है....
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